केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम में 40वें संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद राजनीतिक बयानबाजी जारी है। इसे लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वक्फ एक्ट में कोई भी बदलाव हमें मंजूर नहीं है।
वक्फ बोर्ड में संशोधन वाला बिल अभी संसद पेश नहीं हुआ है लेकिन उसे लेकर हंगामा पहले ही मच गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसपर एतराज़ जताया है और कहा है कि वक्फ़ एक्ट 2013 में कोई भी ऐसा बदलाव, जिससे वक्फ़ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति बदल जाए या उन्हें हड़पना सरकार या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए, हरगिज़़ क़बूल नहीं होगा। इसी तरह वक्फ़ बोर्डों के अधिकारों को कम या सीमित करने को भी कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं सुन्नी धर्मगुरू मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने भी वक्फ एक्ट में संशोधन को गैरज़रूरी बताया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि वक्फ एक्ट में कोई भी बदलाव मंज़ूर नहीं। वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करना बर्दाश्त नहीं। इसमें संशोधन होने से
वक्फ की जमीन हड़पना आसान हो जाएगा। सरकार इस कानून में कोई संशोधन नहीं कर सकती।
ओवैसी ने तो संशोधन बिल को वक्फ बोर्ड की संपत्ति हड़पने की साजिश बता दी है चो वहीं लखनऊ-दारुल उलूम प्रवक्ता सुफियान निज़ामी ने कहा है कि सरकार वक्फ़ एक्ट को मजबूती प्रदान करें, वक्फ़ से अवैध कब्ज़ों को सरकार हटाए, वक्फ़ बोर्ड के हाथों को सरकार मजबूत करें सही नीयत से सरकार बोर्ड की मदद करें, वक्फ़ जमीनों पर सरकारी इमारतों से लें। वक्फ़ एक्ट में कोई भी बदलाव हरगिज़़ क़बूल नहीं होगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद क़ासिम रसूल इलयास ने एक प्रेस बयान में कहा कि विश्वसनीय जानकारी के अनुसार, भारत सरकार वक्फ़ एक्ट 2013 में लगभग 40 संशोधनों के माध्यम से वक्फ़ संपत्तियों की हैसियत और प्रकृति को बदलना चाहती है ताकि उन पर कब्जा करना और उन्हें हड़पना आसान हो जाए। जानकारी के अनुसार, इस प्रकार का विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यह स्पष्ट करना आवश्यक समझता है कि वक्फ़ संपत्तियाँ मुसलमानों के बुजुर्गों द्वारा दिए गए वे उपहार हैं जिन्हें धार्मिक और चैरिटी के कामों के लिए वक्फ़ किया गया है। सरकार ने बस उन्हें नियंत्रित करने के लिए वक्फ़ एक्ट बनाया है।
उन्होंने आगे कहा कि वक्फ़ एक्ट और वक्फ़ संपत्तियों को भारतीय संविधान और शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937 भी सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए भारत सरकार इस कानून में कोई ऐसा संशोधन नहीं कर सकती जिससे इन संपत्तियों की प्रकृति और हैसियत ही बदल जाए। उन्होंने कहा कि अब तक सरकार ने मुसलमानों से संबंधित जितने भी फैसले किए और कदम उठाए हैं, उनमें उनसे कुछ छीनने का ही काम हुआ है, दिया कुछ नहीं, चाहे वह मौलाना आजाद फाउंडेशन का बंद किया जाना हो, या अल्पसंख्यक स्कॉलरशिप को रद्द करना, या फिर तीन तलाक से संबंधित कानून हो।
उन्होंने कहा कि यह मामला केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं रहेगा। वक्फ़ संपत्तियों पर चोट करने के बाद आशंका है कि अगला नंबर सिखों और ईसाइयों की वक्फ़ संपत्तियों का और फिर हिंदुओं के मठों और अन्य धार्मिक संपत्तियों का भी आ सकता है।