अग्रवाल का कहना है कि,यह मेरा सब्जेक्ट रहा है,जब मैं यूपीएससी विद्यार्थी समय से तैयारी कर रहा था। धीरे-धीरे अर्थ व्यवस्था और अर्थ शास्त्र के प्रति प्रेम डेवलप हुआ। तभी से मैं इसमें रूचि रखता था। समय निकला जैसे-जैसे तो पुस्तक लिखने का मन हुआ कि इस पर पुस्तक लिखनी चाहिए। खुद तैयारी करता था। कई सारे विषयों में अच्छी पुस्तके है। लेकिन अर्थ शास्त्र में इस प्रकार की कोई पुस्तक नही थी। दो एक वर्ष पूर्व पब्लिशर ने एप्रोच किया तो उस समय देखा हाई क्वॉलिटी की पुस्तक नही मिली। प्रेम था इससे तो सोचा प्रयास किया जाए।
इस तरह का लिखा जाए जो बच्चो के लिए आने वाले वर्षो के लिए मील का पत्थर साबित हो। उनको तैयारी करने में भी मदद मिल सके। उन्होंने बताया कि,यह मेरी पुस्तक का सैकंड एडिशन है। पहला एडिशन एमाज़ॉन पर फर्स्ट सेलर बना। पाठको ने खूब सराहना की खूब प्यार दिया। काफी बडा रीजन अर्थ शास्त्र यह रहा है कि अर्थ शास्त्र को सिर्फ रटना ही नही होता बल्कि आप समझे कि कैसे एक चीज दूसरे पर इंपेक्ट करती है। फंडामेंटल जानकारी मेने इस पुस्तक में लिखी है। अर्थशास्त्र की दुनिया में क्या चल रहा है उसे एक उदाहरण के माध्यम से समझाया है।
अग्रवाल ने बताया कि, यह किताब लिखना मेरे लिए सुखद अनुभव रहा है। सब्जेक्ट के प्रति जो मेरा प्रेम है उसको मैने इस किताब के अंदर उतारा है। बच्चो में भय रहता है कि आईएएस की परीक्षा है तो मैं यह परीक्षा दे पाउंगा या नही, क्या होगा। विषय को मैने अच्छे अच्छे चित्रों के माध्यम से समझाया है। गणित इसमें बिल्कुल नही रखी। चित्रों के माध्यम से समझाया है। किताब ऐसे व्यक्ति के लिए जिसका इकोनॉमिक्स का कोई बेग्राउंड नही है, न ही उसको इसमें इंटरेस्ट है।
किताब लिखते लिखते उदाहरण दूं जब किताब लिख रहा था तब चैप्टर लिख रहा था किस प्रकार से आरबीआई कैसे अपने प्रिंटिंग प्रेस में नोट छापती है वहां से कैसे भारत के वित्तीय तंत्र से पैसा पहुंचता पहुंचता आप तक पहुंचता है। मेरी पत्नी को पढाया तो पत्नी ने 10 मिनट पढने के बाद,उन्हें भी पता चला कि किस तरह आरबीआई काम करती है।