जोधपुर। राईका छात्रावास में राईका समाज की महा पंचायत हुई जिसमें सभी ज़िलों के प्रतिनिधि पधारे । राईका बाग का नाम रेलवे ने “ राई का “ बाग कर दिया अर्थात् बीच में स्पेस देकर समाज का नाम ही विकृत कर दिया जिसके ख़िलाफ़ समाज ने एक जुलाई को बहुत बड़ा आंदोलन किया था । आंदोलन के दौरान ज़िला कलेक्टर ने लिख कर दिया था कि रेवन्यू रिकॉर्ड में स्टेशन का नाम “ राईका बाग “ ही है अर्थात् राईका समाज की माँग सच्ची निकली । कलेक्टर ने रेलवे को नाम सुधारने के लिए भी लिखा जिसमें रेलवे ने 15 दिन का समय माँगा था । लेकिन रेलवे ने कलेक्टर के लेटर की कोई परवाह नहीं की । कलेक्टर ने 25 तारीख़ को फिर लेटर लिखा जिसके जवाब में रेलवे ने अपना पॉइंट सिद्ध करने के लिए सेलेक्टिव डॉक्युमेंट्स लगाये ।
हड़मल समिति के बैनर तले इस आंदोलन का नेतृत्व
लालजी राईका कर कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि विधान सभा में सवाल उठने पर मंत्री ने जो जवाब दिया वो सही नहीं है । राज्य सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार को नाम सुधारने के लिए कोई पत्र नहीं भेजा है , मंत्री बोल रहे थे कि ये लिपिकीय त्रुटि है जबकि रेलवे के अड़ियल रुख़ उस लिपिकीय त्रुटि नहीं मान रहा है । इसलिए राजस्थान सरकार भी अपने किसी आदेश की पालना रेलवे से नहीं करवा पा रही है ।
रेलवे की इसी तानाशाही रविये की ख़िलाफ़ राईका समाज ने आज महा पंचायत की और अपने आंदोलन को हर ज़िले तक ले जाने का निर्णय लिया । महा पंचायत में यह भी निर्णय लिया गया की दो सितंबर को जोधपुर में रेलवे के ख़िलाफ़ महा आंदोलन किया जायेगा जिसमें लाखों लोग आयेंगे । यदि फिर भी रेलवे नहीं मानता है तो पाँच सितंबर को रेल रोको आंदोलन आरंभ किया जायेगा ।
महा पंचायत ने चर्चा के बाद राईका बाग से एक रैली
निकाली जिसमें रेलवे मंत्री और रेलवे के मुर्दाबाद के नारे लगाये गए । रेलवे मंत्री का पुतला “राम नाम सत् है “ कहते हुए ले जाया गया और रेलवे डीआरएम ऑफिस के सामने रेलवे मंत्री का पुतला जलाया गया ।
राईका समाज अब ज़िले जिले आंदोलन
करेगा और ज़िले के रेलवे स्टेशन के सामने रेलवे मंत्री के पुतले जलायेगा।
समाज ने यह निश्चय किया है कि जब तक “ राईका “ सब्द रेलवे के बोर्ड में सही नहीं हो जाता तब
तक अपना आंदोलन जारी रखेगा । समाज ने राज्य सरकार की निष्क्रियता और अनदेखी पर भी अपना भारी रोष जताया है । अगला आंदोलन नागौर और कुचामन सिटी से आरंभ होकर अन्य ज़िलों में जाएगा ।