Nepal Government Fall: भारत के पड़ोसी देश नेपाल की सियासत में भारी हलचल है. पुष्प कमल दहल प्रचंड संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाए. पूर्व प्रधानमंत्री ओली ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया.
Prachanda Government Loses Confidence: हिमालय की गोद में बसे नेपाल में शुक्रवार (12 जुलाई) को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाए. वहीं, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राजनीतिक दलों को बहुमत साबित करने के लिए रविवार तक की समयसीमा दी. उससे पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया.
ये साफ है कि नेपाल का सियासी बवाल अभी कुछ और दिनों तक रहने वाला है. वैसे राष्ट्रपति की समयसीमा की बात करें तो सदन के सदस्यों को रविवार शाम पांच बजे तक निचले सदन में प्रतिनिधित्व करने वाले दलों के समर्थन से बहुमत पेश करना होगा. इससे पहले, राष्ट्रपति ने नई सरकार बनने तक प्रचंड से कार्यवाहक के रूप में प्रधानमंत्री पद पर बने रहने को कहा.
आखिरकार पांचवी बार में हो ही गए परास्त
नेपाल के सियासी घटनाक्रम को विस्तार से समझें तो प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ दोपहर सदन में शक्ति परीक्षण हार गए. देश की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 69 वर्षीय प्रचंड को 63 वोट मिले, जबकि विश्वासमत प्रस्ताव के विरोध में 194 वोट पड़े. विश्वासमत हासिल करने के लिए कम से कम 138 वोट की जरूरत थी. प्रतिनिधि सभा के 258 सदस्यों ने मतदान में भाग लिया, जबकि एक सदस्य अनुपस्थित रहा. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष प्रचंड 25 दिसंबर, 2022 को पद संभालने के बाद चार बार विश्वासमत हासिल करने में सफल रहे, लेकिन इस बार उन्हें असफलता मिली.
संख्या का गणित केपी शर्मा ओली के साथ!
पूर्व प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) ने सदन में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ सत्ता साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद पिछले सप्ताह प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. नेपाली कांग्रेस के पास प्रतिनिधि सभा में 89 सीट हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीट हैं. इस तरह दोनों की संयुक्त संख्या 167 है, जो निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 138 से कहीं अधिक है.
क्या बारी-बारी से बदलेंगे नेपाल के प्रधानमंत्री?
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा पहले ही अगले प्रधानमंत्री के रूप में ओली का समर्थन कर चुके हैं. देउबा और ओली ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को अपदस्थ करने और नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार को सात सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समझौते के अनुसार, ओली और देउबा प्रतिनिधि सभा की शेष अवधि के दौरान बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद साझा करेंगे.
पहले चरण में ओली डेढ़ साल के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे और उसके बाद बाकी अवधि के लिए देउबा प्रधानमंत्री रहेंगे. प्रचंड की पार्टी के पास प्रतिनिधि सभा में 32 सीट हैं. वह सीपीएन-यूएमएल के समर्थन से 25 दिसंबर 2022 को तीसरी बार प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए थे.