आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन) के देश वियतनाम का दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है। भारत के पास दक्षिण चीन सागर में वियतनामी जलक्षेत्र में तेल अन्वेषण परियोजनाएं हैं। भारत और वियतनाम पिछले कुछ वर्षों में साझा हितों की रक्षा के लिए अपने समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ा रहे हैं।
नई दिल्लीः चीन के दुश्मन देश इन दिनों भारत के साथ अपनी दोस्ती को लगातार मजबूत कर रहे हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह बीजिंग को मुंहतोड़ जवाब दे सकें। ऐसे में चीन परेशान होने लगा है। हाल ही में जापान में हुए क्वॉड सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी खत्म करने के लिए सुरक्षा और सैन्य सहयोग को मजबूत करने पर प्रतिबद्धता जताई तो भी चीन परेशान हो गया। उसने जापान पर भारत-अमेरिका के साथ मिलकर बीजिंग के खिलाफ काम करने का आरोप लगा दिया। अब वियनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह की पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ आज हुई मुलाकात ने चीन की चिंता को कई गुना बढ़ा दिया होगा।
वजह साफ है कि चीन और वियतनाम में भारी दुश्मनी है। दोनों देशों के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह दक्षिण चीन सागर है। वियनाम को चीनी चुनौतियों से निपटने के लिए भारत पहले भी युद्धपोत गिफ्ट कर चुका है। अब भारत ने वियनाम को मजबूत करने के लिए जो रणनीति बनाई है, वह शी जिनपिंग की आंखों की नींद उड़ा देगी। पीएम मोदी ने आज अपने वियतनामी समकक्ष फाम मिन्ह चिन्ह के साथ व्यापक वार्ता की जो दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और विस्तारित करने पर केंद्रित थी। चिन्ह मंगलवार रात तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक संबंधों को और आगे बढ़ाना है।
दक्षिण चीन सागर पर रहा फोकस
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह का गर्मजोशी से स्वागत किया।” उन्होंने वार्ता से पहले कहा, “भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और अधिक बढ़़ाने के लिए ठोस चर्चा एजेंडे में है।” पिछले कुछ वर्षों में भारत और वियतनाम के बीच सामरिक संबंध प्रगाढ़ हुए हैं। पिछले साल जुलाई में भारत ने दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार पर साझा चिंताओं के बीच बढ़ती द्विपक्षीय सामरिक और रक्षा साझेदारी को दर्शाते हुए अपना सेवारत मिसाइल जंगी पोत आईएनएस कृपाण वियतनाम को उपहार में दिया था। यह पहली बार था जब भारत ने किसी मित्र विदेशी देश को पूरी तरह से चालू जंगी पोत सौंपा